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Thursday 14 January 2016

आधी-अधूरी कार्रवाई

आधी-अधूरी कार्रवाई 

पठानकोट में हमले के लिए जिम्मेदार माने जा रहे आतंकी सरगना मसूद अजहर और उसके कुछ साथियों को हिरासत में लिए जाने की खबर यह उम्मीद तो जगाती है कि शायद पाकिस्तान हालात की गंभीरता समझकर सुधरने को तैयार है, लेकिन अभी किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सकता। यह कार्रवाई दिखावे की और मात्र इसलिए की गई हो सकती है कि भारत से वार्ता का सिलसिला खटाई में न पड़ने पाए और अंतरराष्ट्रीय जगत में शर्मिदगी से बचा जा सके। अभी तक का अनुभव और रिकार्ड यही बताता है कि पाकिस्तान ने भारत में खून-खराबा करने और दहशत फैलाने वाले आतंकी संगठनों के खिलाफ कभी कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। भारत में अपने लोगों की आतंकी गतिविधि पर पाकिस्तान पहले तो सिरे से इंकार करता है, फिर सुबूत मांगता है और बाद में कह देता है कि वे अपर्याप्त हैं। इसी के साथ वह अपनी न्यायपालिका के निष्पक्ष होने की दुहाई भी देता है। मुंबई हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दबाव में पाकिस्तान ने इस हमले की साजिश रचने वालों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ अदालती कार्यवाही भी शुरू की, लेकिन जल्द ही जो गिरफ्तार किए गए वे जमानत पर छूट गए और अदालती कार्रवाई भी थम गई। मुंबई में हमला करने वाले आतंकियों को प्रशिक्षण देने वाले आतंकी लखवी को कुछ इस तरह जेल में रखा गया कि वह बाप बनने में भी सफल रहा। लखवी की सुनवाई के मामले में तारीख पर तारीख का सिलसिला कायम है। कभी जज बदल जाते हैं तो कभी छुट्टी पर चले जाते हैं। इसी तरह का हाल सरकारी वकीलों का भी है। वे या तो अदालत आते नहीं या फिर मामले को हाथ में लेने से ही इंकार कर देते हैं। 1 यदि पाकिस्तान हर तरह के आतंकवाद से लड़ने के मामले में तनिक भी ईमानदार है तो उसे दुनिया को बताना चाहिए कि आतंकी संगठनों के खिलाफ उसके अभियान जर्बे अज्ब की छाया भी जैश और लश्कर जैसे संगठनों पर क्यों नहीं पड़ी? क्या कारण है कि इन आतंकी संगठनों के सरगनाओं की रैलियों का प्रबंध भी खुद सरकार के लोग करते हैं? यदि अन्य आतंकी संगठनों से निपटने और यहां तक कि उन्हें सजा देने का काम भी पाकिस्तानी सेना अपने हाथ में ले सकती है तो लश्कर और जैश के मामले में क्यों नहीं? क्या इसलिए कि इन संगठनों को पालने-पोसने का काम खुद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ कर रही है? मसूद अजहर और उसके साथियों को हिरासत में लेने का एक मकसद भारत के साथ अमेरिका को भी बहकाना हो सकता है, क्योंकि कई अमेरिकी सांसद पाकिस्तान को एफ-16 लड़ाकू विमान देने का विरोध कर रहे हैं। स्पष्ट है कि जब तक इसके ठोस प्रमाण न मिल जाएं कि पाकिस्तान भारत के लिए खतरा बने आतंकी संगठनों को खत्म करने को लेकर गंभीर है तब तक उस पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। केवल इतना पर्याप्त नहीं कि मसूद अजहर और उसके कुछ साथी पकड़ लिए गए। जरूरी यह भी है कि एक तो मुंबई हमले की अदालती कार्रवाई गति पकड़े और दूसरे, आतंकी संगठनों के ढांचे और खासकर उनके प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट करने का काम किया जाए। नि:संदेह इसमें समय लगेगा, लेकिन जब तक पाकिस्तान इस दिशा में कदम नहीं उठाता तब तक उससे बातचीत भी सीमित स्तर और दायरे की ही होनी चाहिए।