संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य
मकर संक्रांति का पर्व पूरे भारत वर्ष में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में मकर संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल, असम में माघ बिहु और बिहार में खिचड़ी नाम से प्रसिद्ध यह त्योहार अलग-अलग तरीके से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के अनेक स्थानों पर मेले का आयोजन किया जाता है। माघ मेले की शुरुआत इसी दिन से होती है। मकर संक्रांति अधिकतर 14 जनवरी को ही मनाई जाती है, जबकी पिछले दो सालों से यह 15 तारीख को मनाई जा रही है और इस वर्ष भी सूर्य 15 तारीख को मकर राशि में संचार करेगा। ऐसा इतिहास में बहुत ही कम देखने को मिला है कि मकर संक्रांति लगातार तीसरी बार 15 तारीख को हो। इस कारण यह संक्रांति अपना अलग ही महत्व रखती है। इस दिन किया गया दान व शुभ कार्य कई गुणा प्रभाव रखने वाला होगा। संक्रांति का पुण्यकाल सूर्योदय से सूर्यास्त के मध्य होगा। पुराणों में इस दिन को विभिन्न तरीकों से उल्लेखित किया गया है। कहा जाता है इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर में स्वयं जाते हैं।