टॉपर बनने के लिए नजर नहीं नजरिया चाहिए
श्वेता ने बताई खुद की कहानी..
बचपन में ब्रेन ट्यूमर से लड़ी, फिर आंखें गंवाई लेकिन हारी नहीं, रांची विश्वविद्यालय में पीजी टॉप किया।
श्वेतादेख नहीं सकती हैं, पर उनमें जज्बा और उत्साह गजब का है। इसी के दम पर वो रांची यूनिवर्सिटी में पीजी ह्यूमन राइट (मानव अधिकार) की टॉपर बन गईं। श्वेता जब छह साल की थीं तो उन्हें ब्रेन ट्यूमर हो गया था। ऑपरेशन किया गया, पर साइड इंफेक्शन की वजह से 9 साल बाद उनकी आंखों की रोशनी चली गई। इसके बावजूद वो हिम्मत नहीं हारीं। बुधवार को यूनिवर्सिटी के 29वें दीक्षांत समारोह में जब झारखंड के राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू और सीएम रघुवर दास ने श्वेता को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया, तो वहां मौजूद उनके माता-पिता के साथ अन्य लोगों की आंखों में खुशी के आंसू छलक आए। श्वेता ने साबित कर दिया है कि टॉपर बनने के लिए वो आंखों में रोशनी की मोहताज नहीं हैं। रांची के अरगोड़ा चौक के पास रहने वाली श्वेता मंडल मानव अधिकारों को लेकर काफी संजीदा हैं। इसलिए वो पीजी में अपना विषय भी यही रखा। श्वेता ने भास्कर से बातचीत में अपने जीवन से जुड़ी कई बातों का जिक्र भी किया।