राज कपूर की 'संगम' में शैलेंद्र के गीत की कुछ पंक्तियां इस तरह हैं, 'प्यार की दुनिया में दो दिल मुश्किल से समा पाते हैं, यहां गैर तो क्या अपनों तक के साये भी पाते हैं, ये धरती है इंसानों की, कुछ और नहीं इंसान है हम, मेरे सनम, एक दिल के दो अरमान हैं हम।' सारा झमेेला इसी बात का है कि हम सारे समय देवता और दानव की किवदंतियों में उलझे रहते हैं और इंसान नजरअंदाज हो जाता है। इस प्रयोजन के लिए कितने आवरण, कितने परदे हमने रचे हैं।